मारुति भी 27 साल पहले सरकारी कंपनी थी; बीते 16 साल में शेयर ने 5600% रिटर्न दिया

बिजनेस डेस्क. कैबिनेट ने बुधवार को बीपीसीएल समेत 5 सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दी। ये पहली बार नहीं जब सरकार ने किसी बड़ी कंपनी में विनिवेश का फैसला लिया हो। इससे पहले मारुति और हिंदुस्तान जिंक जैसी कंपनियों के भी बड़े उदाहरण हैं। ये दोनों कंपनियां निजीकरण के बाद काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। मारुति के शेयर ने 2003 में लिस्टिंग के बाद से बीते 16 साल में 5600% रिटर्न दिया है।




सरकार 2007 में मारुति से पूरी तरह निकल गई थी


 

 



 


मारुति सुजुकी की शुरुआत 1982 में तत्कालीन सरकार और जापान की ऑटो कंपनी सुजुकी के ज्वाइंट वेंचर के तौर पर हुई थी। उस वक्त सरकार की 74% और सुजुकी की 26% हिस्सेदारी थी। बाद में सुजुकी ने 2 बार में अतिरिक्त शेयर खरीदकर हिस्सेदारी 50% तक बढ़ा ली। 1992 में सरकार की शेयरहोल्डिंग 50% से नीचे आ गई और मारुति को निजी कंपनी घोषित कर दिया गया। 2002 में सरकार ने मैनेजमेंट कंट्रोल भी ट्रांसफर कर दिया और 2007 में बची हुई हिस्सेदारी बेचकर पूरी तरह कंपनी से बाहर हो गई।





 


मारुति सुजुकी जुलाई 2003 में 125 रुपए के प्राइस पर आईपीओ लाई। बुधवार को शेयर का क्लोजिंग प्राइस 7144.10 रुपए रहा। यानी बीते 16 साल में शेयर में 5600% तेजी आई। मारुति सुजुकी आज देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी है।





 


हिंदुस्तान जिंक की शुरुआत 1966 में हुई थी। 2002 में सरकार ने रणनीतिक विनिवेश की योजना के तहत इसकी 26% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज ने 26% शेयर सरकार से और 20% आम शेयरधारकों से खरीदे थे। 2003 में सरकार ने 18.92% और शेयर बेच दिए। हिंदुस्तान जिंक दुनिया की टॉप-3 जिंक खनन कंपनियों में से एक है। यह दुनिया की 10 प्रमुख चांदी उत्पादक कंपनियों में भी शामिल है।





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