नई दिल्ली. दरिंदों ने निर्भया के साथ किस हद तक हैवानियत की थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुष्कर्मी उसके कपड़े उतार कर ले गए। बाद में इन्हीं कपड़ों से बस भी साफ की। फिर कपड़ों को जला दिया। इतना ही नहीं, दोषी निर्भया और उसके दोस्त का सारा सामान भी लूट ले गए थे। कुछ सामान बिहार के औरंगाबाद से मिला तो कुछ राजस्थान के करौली के गांव से। इसके अलावा दुष्कर्मी दिल्ली की जिस झुग्गी में रहते थे, उस रविदास कैंप से भी कई चीजें पुलिस ने बरामद की थीं।
किसी ने फोन रखा तो किसी ने जूते-घड़ी
2012 की 16 दिसंबर की जिस रात को निर्भया के साथ दुष्कर्मियों ने दरिंदगी की थी। उसी रात उन्होंने एक और व्यक्ति (राम आधार) से भी लूटपाट की थी। सभी 6 दोषी उस रात जमकर नशे में थे। रात करीब 9 बजे के बाद मुनीरका बस स्टैंड से निर्भया और उसके दोस्त जैसे ही बस में चढ़े, वैसे ही इन दोषियों ने उनके साथ बदतमीजी शुरू कर दी थी। एक ने पहले निर्भया के दोस्त को थप्पड़ लगाया। एक ने निर्भया को पकड़ा। फिर बारी-बारी से सबने निर्भया के साथ गैंगरेप किया। दोषियों ने उनसे सारा सामान छीन लिया। उनके कपड़े उतार लिए। गैंगरेप करने और लूटपाट करने के बाद दोषियों ने उन दोनों को बस से नीचे फेंक दिया। उसके बाद जितना भी सामान मिला था, सभी ने आपस में बांट लिया। दोषी अक्षय निर्भया के दोस्त की चांदी और सोने की अंगूठी लेकर बिहार चला गया। मुकेश सिंह निर्भया के दोस्त का स्मार्टफोन लेकर राजस्थान के करौली में अपने गांव निकल गया। मुख्य दोषी राम सिंह ने निर्भया की मां का डेबिट कार्ड रख लिया था, जबकि नाबालिग दुष्कर्मी ने 11 रुपए रख लिए थे।