रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों के निर्वासित करने के लिए याचिका, सुप्रीम कोर्ट 4 सप्ताह में सुनवाई को राजी

नई दिल्ली. देश में रोहिंग्या और बांग्लादेशी सहित सभी अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्तों बाद सुनवाई करेगा। इस मुद्दे पर जनहित याचिका दाखिल करने वाले अश्विनी उपाध्याय ने अदालत से जल्दी सुनवाई की अपील की थी। इसके बाद तीन जजों की पीठ ने चार सप्ताह बाद याचिका की सुनवाई करने के निर्देश दिए।


मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा- इस मामले को सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद का समय तय किया जाता है। याचिका दाखिल करने वाले अश्विनी उपाध्याय ने अदालत से अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान, उन पर रोक और उनका निर्वासन करने के लिए, केंद्र और राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश देने की मांग की थी।


अवैध प्रवासी नागरिकों की रोजी-रोटी छीन रहे
याचिका में कहा गया- अवैध प्रवासी हमारे नागरिकों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं। खास तौर पर म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर हुई अवैध घुसपैठ से सीमावर्ती जिलों का क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ गया है। इससे देश की सुरक्षा और एकता को भी खतरा है। याचिकाकर्ता ने कहा- म्यांमार से कई एजेंट और दलाल संगठित तरीके से अवैध प्रवासियों को भारत भेज रहे हैं। इसके लिए पश्चिम बंगाल के बेनापोल-हरिदासपुर और हिल्ली, त्रिपुरा के सोनमोरा के रास्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही कोलकाता और गुवाहाटी के रास्ते भी इन्हें संगठित रूप से भारत भेजा जा रहा है।


म्यांमार की सेना ने घुसपैठियों के खिलाफ सख्ती की
अगस्त, 2017 में म्यांमार के उत्तरी हिस्से में वहां की सेना द्वारा घुसपैठियों के खिलाफ सघन अभियान शुरु करने के बाद, 6,50,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान राखीन शहर से भागकर भारत पहुंच गए थे। याचिका दाखिल करने वाले अश्विनी उपाध्याय ने 40,000 अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की पहचान और निर्वासन को लेकर केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन भी किया।


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