भारत में कोरोना दूसरे चरण में, बेहद सतर्कता जरूरी

भारत सरकार कोरोना से लड़ने के हर कदम उठा रही है, लेकिन ये प्रयास तभी फलीभूत होंगे, जब नागरिक स्वयं तकलीफ सहने की हद तक सतर्कता बरतेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कहना कि बिना ट्रैवल हिस्ट्री वाले लोगों में भी कोरोना वायरस पाया जाना इस बात का संकेत है कि यह महामारी अब दूसरे चरण में पहुंच गई है। यानी अब सामुदायिक प्रसार का खतरा पैदा हो गया है। भारत का आबादी घनत्व चीन से तीन गुना, अमेरिका से 13 गुना और ऑस्ट्रेलिया से 113 गुना है। यहां तीन में हर दो व्यक्ति गांव में रहते हैं।


मानव व्यवहार के कई अध्ययनों के अनुसार ग्रामीण भारत में हर चौथा व्यक्ति बच्चों को खिलाने से पहले हाथ नहीं धोता। गरीबी की वजह से साबुन का इस्तेमाल न करना और बीमारी के लक्षण छिपाना, ताकि रोजी-रोटी के लिए बाहर निकलने पर रोक न लगे। स्वच्छता-शून्य गंदी बस्तियों का जीवन इस चरण में देश को बेहद खतरनाक मोड़ पर ला चुका है। इस चरण में बीमारी का प्रसार बेहद तेजी से होता है। भारत के तमाम राज्यों में हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की भारी कमी है। दूसरे चरण में कोरोना के प्रसार की रफ़्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर तीसरे दिन मरीजों की संख्या दूनी हो जाती है। जिन देशों में संक्रमण चरम पर है, वहां इसी दौर में जबरदस्त प्रसार देखा गया है।


बड़े देशों में शुरुआती दौर में यह धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन दूसरे चरण में प्रसार बेहद तेज हो जाता है। छोटे से इटली ने लॉकडाउन (हर गतिविधि पर रोक लगाकर घर से बाहर न निकलने के आदेश) नीति अपनाई और आज वहां कोरोना प्रसार लगभग रुकने लगा है, लेकिन भारत में बड़ा भू-भाग और लोगों की आदतन स्वच्छता के प्रति असंवेदनशीलता इसके आड़े आ सकती है। साथ ही गरीबी में रोज कमाकर जीवनयापन करने की स्थिति के कारण यहां लॉकडाउन लागू करना आसान नहीं है। यह भी देखने में आ रहा है कि बंेगलुरु, पुणे, दिल्ली, हरियाणा और हैदराबाद की कुछ विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियां अभी भी पूरी तरह से ‘वर्क फ्रॉम होम’ की नीति नहीं अपना रही हैं। इस मामले में उनके विदेश स्थिति मुख्यालय आपराधिक उदासीनता बरत रहे हैं। भारत सरकार को इसे सख्ती से रोकना होगा।


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