अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस सेल्फ-क्वॉरन्टीन (स्व-संगरोध) के समय का इस्तेमाल अपनी रीढ़ को मजबूत करने के लिए योग करके और अच्छा संगीत सुनकर कर रहीं हैं। क्रिकेटर एमएस धोनी, जो सेल्फ-आइसोलेशन के लिए अपने गृहनगर रांची गए हुए हैं, वह अपने पालतू कुत्ते ज़ोया के साथ समय बिता रहे हैं। अभिनेता टॉम हैंक्स और पत्नी रीटा विल्सन भी अब ऑस्ट्रेलिया में अपने घर में सेल्फ-क्वॉरन्टीन में हैं।
यदि आप सोच रहे हैं कि बेहद अमीर लोग ही महीनों तक बिना काम के रह सकते हैं और कोरोनोवायरस की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, तो जान लें कि आपके और मेरे जैसे लोग भी ऐसा सफलतापूर्वक कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, 8 मार्च को, बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड में स्थित सिटीलाइट्स रस्टिक अपार्टमेंट के निवासियों को पता चला कि उनकी सोसाइटी में रहने वाले एक परिवार के तीन सदस्यों का कोरोनावायरस टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आया है। जिसमें यूएस से लौटे एक तकनीशियन, उनकी पत्नी और बेटी शामिल थे, जिन्हें आइसोलेशन वॉर्ड भेज दिया गया था। यह कोरोनावायरस के पॉजिटिव शुरुआती मामलों में से एक था, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। इस खबर के शुरुआती खौफ और बदहवासी से अपार्टमेंट में रहने वाले एकजुट होकर निपटे, क्योंकि उनके पास इसके लिए पूरी योजना थी कि क्या करना है और कैसे करना है।
स्वास्थ्य विभाग ने उस तकनीशियन के घर को अच्छी तरह से कीटाणुरहित कर दिया था; अगले कुछ दिनों तक अपार्टमेंट के 160 फ्लैटों में सभी 600 निवासियों के स्वास्थ्य की स्थिति की जांच की जाती रही। सोसायटी पदाधिकारियों ने कॉमन जगहों को सैनेटाइज करने के बाद उन जगहों को सील कर दिया। सभी को सख्ती से कहा गया था कि वे बच्चों को बाहर खेलने न जाने दें। सौभाग्य से स्कूल भी बंद हो गए थे। सुरक्षा कर्मचारियों को मास्क, हैंड सैनिटाइटर से सुरक्षित बनाया गया। वहां रहने वाले प्रत्येक ‘आपातकालीन’ कर्मचारियों को कहीं भी जाने से पहले सोसायटी की अनुमति लेनी पड़ती और वापसी पर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना पड़ता था। प्रवेश और निकास द्वारों पर कड़ी नजर रखी जा रही थी। सभी डिलीवरी बॉयज के लिए हर मंजिल पर एक अलग जगह बना दी गई थी, जहां वो दूध, किराने और अन्य वस्तुओं को रखकर जा सकते थे। लिफ्ट को लगातार सैनेटाइज किया जा रहा था और लिफ्ट के बटन दबाने के लिए टूथपिक का उपयोग किया जा रहा था।
खुद की मर्जी से किया जाने वाला क्वॉरन्टीन जल्द अनिवार्य हो गया था। जिन लोगों ने इस अनिवार्य व्यवस्था पर आपत्ति जताई, उन्हें ह्यूमन हैंडलिंग कौशल वाले परिपक्व लोगों द्वारा काउंसिलिंग दी गई। अंतत: किसी को भी बाहर जाने या अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। इस शनिवार को, अपार्टमेंट ब्लॉक ने अपनी 14-दिवसीय संगरोध की अवधि पूरी की और सभी ने राहत की सांस ली क्योंकि कोरोनावायरस का कोई पॉजिटिव मामला नहीं मिला। यह अपार्टमेंट पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया, जिसने सफलतापूर्वक खुद को आइसोलेट करके अपने निवासियों के बीच वायरस फैलाने से रोका। इससे मुझे महाभारत युद्ध की एक कहानी की याद आई।
‘द्रोणाचार्य मर चुके थे। अश्वत्थामा हाहाकार कर उठा। दुर्योधन ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए उसे नारायणास्त्र चलाने को कहा जो सिर्फ अश्वत्थामा के ही पास था। क्रोध में उसने वह अस्त्र चला दिया। पांडवों की सेना त्राहि-त्राहि कर उठी। सब ओर आग ही आग थी। सब झुलस रहे थे। अर्जुन ने घबराकर कृष्ण की ओर देखा लेकिन कृष्ण भी भौंचक्के होकर उस अस्त्र को देख रहे थे, जैसे उनके पास भी उसका कोई तोड़ न हो। यकायक कृष्ण रथ से उतरे और नारायणास्त्र का रुख करते हुए भूमि पर माथा टेक दिया। अर्जुन आश्चर्यचकित रह गए। लेकिन कृष्ण से प्रश्न करने का साहस न कर पाए। वे भी रथ से उतर गए।
कृष्ण ने उच्च स्वर में घोषणा की, ‘सभी अपने-अपने शस्त्र त्याग कर भूमि पर नतमस्तक हो बैठ जाएं।’ सभी असमंजस में थे, लेकिन कृष्ण को कौन भला नकार सकता था। अब कहीं से कोई प्रतिकार नहीं हो रहा था। किसी प्रकार का कोई विरोध न देख नारायणास्त्र शांत हो गया। उसकी शक्ति क्षीण हो गई और वह समाप्त हो गया।
फंडा यह है कि आपको ये पसंद आए या न आए, हम एक युद्ध में हैं और सेल्फ-क्वॉरन्टीन और उच्च स्तर का आत्म अनुशासन ही इस युद्ध को जीतने में हमारी मदद कर सकते हैं क्योंकि फिलहाल विज्ञान के पास भी इसे मारने के हथियार (दवाइयां) नहीं हैं।